सभी बिलाग लिखने वालों को मेरा यानि चंपा का प्यार भरा हैलो है।
जब से हमारा (काम) धंधा चौपट हुआ है तब से मैं इंटेरनेट पर सर्फिंग करती रोज के रोज। अपने दुबई वाले भाई ने मेरेकू कंप्यूटर ले के दिया। वो मेरे कु डेली मेल भेजता है। एक दिन में पूरे पच्चीस।
एक दिन सर्फ करते करते मैं नारद को देखी। मैं समझी कोई धार्मिक साईट है। पहले तो मैं इग्नोर मार दी। पर क्या करती, इतनी अंग्रेजी तो मेरे कू आतिच ही नईं कि नेट पर जा जा के अंग्रेजी की साईट देखती। लौट के नारद पर ही आगयी। फिर मेरे कू समझ आयी कि इधर तो आम लोग बिलाग लिखते हैं। नौं महीने से देख रहीं हूं तुम लोग बहुत ही बोर करते हो, कोई मसाला वसाला अपने बिलाग पर नहीं डालता। सब भाई भाई बन के पाकीजा टाईप की गजलें लिखते रहते हैं, अरे जमाना पाकीजा का नहीं शकीरा का है। तुम लोग कू कौन समझाये? फिर कहते हो अपुन का बिलाग पापुलर नहीं होते। मैं ना नौं महीने से तुम लोग के बिलाग पढ़ती। मगर लिखने की हिम्मत नई हुई। मैं सोची यहां तो सब बाल बच्चेदार लोग हैं, अपने साथ किसी की जमेगी नहीं। फिर एक दिन मैं देखी होली पर डाक्टर साहब ने जो जोक लगाये ना, वो मैं भी पढ़ी। हाय मेरे कू इत्ती शरम आयी.....। मै ये भी देखी कि कौन कौन वहां टिप्पणी किया। सच्ची उसके बाद मेरे कु बिलाग बनाने की हिम्मत हो गयी। मैं समझ गयी कि मैं बिलाग लिखेगी ना तो सब लोग आयेंगे टिप्पणी मारने कू। (तुम सब आओगे ना टिप्पणी मारने को? जो भी टिप्पणी मारेगा ना मैं उसकू अपना फोटू भेजेगी और जो ज्यादा तारीफ में टिप्पणी मारेगा उसकू दूसरे वाला फोटू भेजेगी। सच्ची कसम से।)
फिर एक दिन मैं देखी वो मोहल्ला वाला लिखा कि हिंदी बिलाग में जलजला आने को है। मैं बड़ी हैरान हुई, अभी तो मैं सिर्फ बिलाग बनाने की सोची थी इसको मालूम भी पड़ गया। अच्छा अभी मैं चलती। शाम होने कू है। अभी मेरे कू पूजा करनी है फिर काम पर जाना है। फिर आयेगी तो तुमकू अपने बारे में और बतायेगी। ये भी बतायेगी कि मैं किस किस का बिलाग पढ़ती और कौन कौन सा बिलागर मेरे कू भोत पसंद है। पिरोमिस.....।
Sunday, April 1, 2007
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